Category: प.सौरभ जैन शास्त्री रायपुर

आचार्य अमृतचन्द्र की दृष्टि में मुनिधर्म

पूज्य आचार्य अमृतचन्द्र की दृष्टि एक विलक्षण प्रतिभा से युक्त थी। आचार्य भगवन्त कुन्दकुन्द के लगभग 1000 वर्ष पश्चात् उनके आध्यात्मिक ग्रन्थ समयसार प्रवचनसार और पंचास्तिकाय की टीका यदि आचार्य अमृमचन्द्र ने नहीं की होती तो आचार्य कुन्दकुन्द के रहस्य को समझना बहुत कठिन हो जाता। आचार्य कुन्दकुन्द के अन्तस्तत्व को आचार्य अमृतचन्द्र ने जिस […]

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